जगदलपुर, शाश्वत स्वर,
छत्तीसगढ़ के बस्तर का आखिरी गांव चांदामेटा एक ऐसा गांव है यहां कोई युवा ही नहीं रहता है। यहां केवल महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग ही रहते हैं। चांदामेटा के लोगों ने कभी सरकार या उनके अफसरों को भी नहीं देखा है। गाँव में विकास कार्य बिल्कुल शून्य हैं। ना रोजगार के साधन हैं, ना ही स्कूल हैं, ना आंगनबाड़ी, ना ही अस्पताल है और तो और गाँव के ग्रामीणों का आज तक आधार कार्ड और वोटर कार्ड भी नहीं बना है। गांव तक पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं थी, जिसे जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने 1 माह में 8 किलोमीटर की खड़ी पहाड़ी को काटकर सड़क बना दिया। इसके बाद अब गाँव तक अधिकारीयों की टीम पहुंची। अधिकारियों को देख ग्रामीण अचरज में रह गए। इस इलाके को माओवादियों की राजधानी भी कहा जाता है, लेकिन आज सरकार को अपने नजदीक देख ग्रामीणों ने मांगों का पिटारा खोल दिया।
आज़ादी के 75 साल बाद भी इस गाँव मे सिर्फ़ महिला, बच्चे, एवम बुजुर्ग हीं रहते है