शाश्वत्स्वर, रायपुर,,राजधानी रायपुर में जिला और नगर निगम प्रशासन तो कोरोना को रोकने में सफल रहा है, लेकिन जानलेवा पीलिया के मामले एक बार फिर नाकाम दिख रहा है. हर साल की तरह ही इस साल भी पीलिया का कहर राजधानी रायपुर में दिख रहा है. बड़ी संख्या में लोग पीलिया की चपेट में आए हैं. लेकिन जिस हिसाब से तैयारियाँ होनी चाहिए थी पीलिया को रोकने में वैसी तैयारियाँ नहीं हो पाई. लिहाजा राजधानी रायपुर में अब तक 350 से अधिक लोग पीलिया की चपेट में आ चुके हैं. इनमें कुछ लोग ठीक भी हुए हैं।
पीलिया के ज्यादतर मामले ईदगाहभाठा, स्वीपर कॉलोनी, मंगल बाज़ार, चंगोराभाठा में सामने आए हैं. लेकिन इसके साथ ही मोवा, दलदल सिवानी, आदर्श नगर, लोधी पारा, सड्ढू जैसे कई मोहल्ले और वार्ड प्रभावित हैं. रायपुर में पीलिया फैलने के पीछे एक मात्र वजह गंदा पानी है. साल पहले तो 20 से अधिक लोगों की मौत पीलिया से हुई थी. वहीं 2018 में करीब आधा दर्जन लोगों की मौत हुई थी. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी मीडिया रिपोर्ट्स पर संज्ञान लेते हुए सख्त निर्देश दिए थे. लेकिन बीते कई सालों से पीलिया की समस्या जस की तस बनी हुई है।
ये और बात है कि रायपुर को स्मार्ट बनाने के नाम करोड़ों खर्च कर दिए गए. फिजुल का स्काई वॉक और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी एक्सप्रेस वे भी तैयार हुआ. लेकिन साफ पानी का प्रबंध कर पाने में नगर निगम पूरी तरह फेल रहा है. निगम प्रशासन की नाकामी का इसे असर कहिए कि 2020 में पीलिया पीड़ियों की संख्या 350 से ज्यादा पहुँच गई है।
जानकारी के मुताबिक नगर निगम आयुक्त सौरभ कुमार पीलिया प्रभावित कुछ इलाकों का दौरा करने गए थे.